
फिस्टुला एक ऐसी समस्या है जिसमें शरीर के दो अंगों या ऊतकों के बीच असामान्य नलिका (ट्यूब) बन जाती है।
यह समस्या आमतौर पर गुदा (एनल फिस्टुला), मूत्रमार्ग या योनि के आसपास होती है।
लेकिन यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि क्या फिस्टुला कैंसर में बदल सकता है,
इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
फिस्टुला क्या होता है? और क्या फिस्टुला कैंसर का रूप ले सकता है
फिस्टुला एक प्रकार का छेद या नलिका होती है जो शरीर के दो हिस्सों को जोड़ देती है
एनल फिस्टुला – गुदा के अंदर और त्वचा के बीच एक असामान्य कनेक्शन बन जाता है।
वेसिकोवेजाइनल फिस्टुला – मूत्राशय और योनि के बीच एक गलत रास्ता बन जाता है।
फिस्टुला दर्द, सूजन, संक्रमण और असहजता का कारण बन सकता है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए,
तो यह गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है।
क्या फिस्टुला कैंसर बन सकता है?
फिस्टुला कैंसर का कारण नहीं बनता। लंबे समय तक बना रहने वाला फिस्टुला या क्रोनिक इन्फ्लेमेशन (पुरानी सूजन) कैंसर के खतरे को थोड़ा बढ़ा सकता है।
- क्रोहन रोग (Crohn’s Disease) से पीड़ित मरीजों में लंबे समय तक रहने वाले फिस्टुला से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- एनल फिस्टुला के मामलों में, अगर यह वर्षों तक ठीक न हो, तो यह स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (एक प्रकार का त्वचा कैंसर) के विकास का कारण बन सकता है।
हालाँकि, ऐसे मामले बहुत कम होते हैं। फिर भी, अगर फिस्टुला का इलाज न किया जाए, तो यह संक्रमण और अन्य जटिलताएँ पैदा कर सकता है।
आइये जानते है कारण
फिस्टुला निम्न कारणों से हो सकता है: और यह भी जानते क्या फिस्टुला कैंसर का रूप ले सकता है
- संक्रमण – जैसे एनल एब्सेस (गुदा में फोड़ा)।
- क्रोहन रोग – पाचन तंत्र की सूजन संबंधी बीमारी।
- सर्जरी या चोट – पेल्विक सर्जरी या प्रसव के दौरान चोट लगना।
- रेडिएशन थेरेपी – कैंसर के इलाज के दौरान हुए नुकसान से।
फिस्टुला के लक्षण
- दर्द और सूजन – प्रभावित जगह पर दर्द और लालिमा।
- पस या खून आना – फिस्टुला से मवाद या खून निकल सकता है।
- बुखार – अगर संक्रमण फैलता है।
- यूरिन या स्टूल का असामान्य रिसाव – अगर फिस्टुला मूत्राशय या आंतों को प्रभावित करता है।
इसका इलाज कैसे होता है?
फिस्टुला का इलाज इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य उपचार हैं:
- सर्जरी – फिस्टुला को हटाने के लिए ऑपरेशन किया जा सकता है।अधिकतर ओप्रशन के बाद भी इसके लक्षण फिर दिखना शुरू हो जाते है
- सेटन प्लेसमेंट – एक विशेष धागा डालकर फिस्टुला को धीरे-धीरे ठीक किया जाता है। ये विधि पूर्ण इलाज नहीं है
- एंटीबायोटिक्स – अगर संक्रमण हो तो दवाएँ दी जाती हैं।यह दवाये अलोपथी और आयुर्वेद दोनों में उपलब्ध है
- बायोलॉजिकल थेरेपी – क्रोहन रोग के मरीजों के लिए उपयोगी।
- सर्वथा किट : सर्वथा आयुर्वेद की किट का सेवन ३ महीने तक लगातार करने से ये परेशानी जड़ से ठीक हो सकती है
फिस्टुला से बचाव के उपाय
- संक्रमण से बचें – साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- पौष्टिक आहार लें – फाइबर युक्त भोजन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
- नियमित चेकअप – अगर क्रोहन रोग या पाचन समस्याएँ हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें।
निष्कर्ष
फिस्टुला आमतौर पर कैंसर का कारण नहीं बनता, लेकिन अगर यह लंबे समय तक बना रहे, तो जटिलताएँ हो सकती हैं। इसलिए, समय पर डॉक्टर से सलाह लेना और उचित इलाज कराना जरूरी है। अगर आपको फिस्टुला के लक्षण दिखें, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए योग्य डॉक्टर की सलाह लें। लेखक किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेता।